लोक सभा और राज्य सभा में अंतर दोनों सदनों की शक्तियों 

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लोक सभा और राज्य सभा में अंतर दोस्तों क्या आप जानना चाहते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा में क्या अंतर होता है और लोकसभा और राज्यसभा का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है तथा यह कैसे काम करते हैं अगर आप यह सब जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक जरूर पढ़ें क्योंकि हम आपको बताएंगे कि लोकसभा और राज्यसभा में क्या अंतर होता है

भारतीय संसद प्रणाली को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है पहला है राज्यसभा दूसरा लोकसभा और तीसरे नंबर पर आता है राष्ट्रपति और दोस्तों लोकसभा को आम जनता का सदन कहकर भी जाना जाता है यह निचला सदन होता है जबकि राज्यसभा की भी बात की जाए तो राज्यसभा सांसद का ऊपरी सदन होता है

अगर राज्यसभा के उल्लेख की बात की जाए तो संविधान के अनुच्छेद 80 में आप को राज्यसभा का संक्षिप्त में उल्लेख देखने को मिलेगा और लोकसभा के उल्लेख की बात की जाए तो संविधान के अनुच्छेद 81 में आपको राज्यसभा से संबंधित उल्लेख देखने को मिलेगा दोस्तों दोनों ही सदनों का लोकतंत्र प्रणाली में काफी महत्व दिया गया है और दोस्तों अब हम जानेंगे कि राज्यसभा और लोकसभा में क्या अंतर है और इन दोनों सदनों में क्या विशेषताएं होती हैं इन सबको हम आगे जानेंगे

 लोकसभा और राज्यसभा में अंतर

दोस्तों राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों का चुनाव अलग-अलग प्रक्रिया के तहत होता है जैसे कि लोकसभा में चुने गए सदस्य जनता द्वारा चुने हुए सांसद होते हैं जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए जबकि राज्यसभा में सदस्यों का चुनाव एमएलए यानी विधायक के द्वारा ही चुने जाते हैं और उन्हीं विधायकों में से यह सदस्य होते हैं

कार्यकाल 

कार्यकाल दोस्तों लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और 5 वर्ष बाद यह  भांग हो जाती है वही बात की जाए राज्यसभा राज्यसभा सदन का स्थाई सदस्य है और इसका कार्यकाल की कोई सीमा नहीं रहती है हां इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है और प्रत्येक 2 वर्ष में एक तिहाई सदस्यों का फिर से चुनाव होता है

सीटे

दोस्तों अगर इनके सीटों की बात की जाए तो लोकसभा में सीटों की अधिकतम संख्या 252 तक हो सकती है और राज्यसभा में सीटों की संख्या 250 तक होती है

मनोनीत सदस्य

दोस्तों मनोनीत सदस्यों की बात की जाए तो भारत के राष्ट्रपति लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को मनोनीत करते हैं और वहीं राज्यसभा में राष्ट्रपति 12 सदस्यों को चुनते हैं और यह 12 सदस्य शिक्षा कला समाज सेवा जैसे क्षेत्रों से संबंधित होते हैं

उम्र  

दोस्तों उम्र की बात की जाए तो आपको राज्यसभा सदस्य बनने के लिए आपकी उम्र 30 वर्ष होना चाहिए और लोकसभा में सदस्य बनने के लिए आपकी कम से कम उम्र 25 साल होना चाहिए

अध्यक्षता

दोस्तों लोकसभा के सदस्यों की अध्यक्षता लोकसभा के द्वारा चुने हुए अध्यक्ष करते हैं जबकि राज्यसभा के सदस्यों की अध्यक्षता की बात की जाए तो इसकी अध्यक्षता भारत के उपराष्ट्रपति करते हैं

शक्ति

शक्ति दोनों दोनों सदनों की बात की जा सकती के मामले में तो वैसे तो दोनों सदन के समान अधिकार होते हैं वह कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें इनकी शक्ति कम हो ज्यादा होती हैं

लोकसभा की शक्ति

दोस्तों लोकसभा की शक्ति की बात की जाए तो धन विधेयक केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है धन विधेयक को राज्यसभा में किसी भी प्रकार से नहीं लाया जा सकता और दोस्तों राज्यसभा को यह शक्ति प्रदान नहीं होती है कि वह धन विधेयक को अस्वीकार कर दे या फिर इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन करें राज्यसभा को इस बिल को बगैर कोई सिफारिश के 14 दिन के भीतर ही वापस लोकसभा में भेजना होता है

और राज्यसभा चाहा कर भी इस धन विधेयक पर रोक नहीं लगा सकती और कोई भी विधेयक धन विधेयक है या नहीं इस बात का फैसला केवल और राज्यसभा अध्यक्ष के पास ही होता है जबकि राज्यसभा सदस्य के अध्यक्ष के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं होता है दोस्तों राज्यसभा की बात की जाए तो राज्यसभा केवल बजट पर ही चर्चा करती है और इसको अनुदान पर वोटिंग करने का किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं है और दोस्तों राष्ट्रीय आपातकाल होता है यानी कि देश में इमरजेंसी होती है उसे समाप्त करने का अधिकार केवल लोकसभा के पास होता है और बिल लोकसभा से ही पारित होता है

राज्यसभा की विशेष शक्तियां

दोस्तों दो शक्तिया हो जो केवल राज्यसभा के पास होती हैं या लोकसभा के पास नहीं होती हैं पहली शक्ति है कि यह सांसद को राज्य सूची मैं विधि हेतु अधिकृत कर सकती है वहीं राज्यसभा की दूसरी शक्ति की बात की जाए तो इसकी दूसरी शक्ति होती है कि राज्यसभा सांसद को केंद्र और राज्य दोनों के भारतीय सेवा के संयोजन हेतु अधिकृत काफी आसानी से कर सकती है और यह अनुच्छेद 312 में दिया गया है

बिल पास करना 

दोस्तों जब कोई सरकार नया बिल लाती है तो उसे सबसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है और उस बिल पर वहां पर  प्रस्ताव पारित होता है अगर उस प्रस्ताव में इस बिल को अस्वीकार कर लिया जाता है तो इसके बाद उस बिल पर वोटिंग की जाती है अगर वोटिंग में बा बिल पास हो जाता है तो शायद लोकसभा से पास होने के बाद बिल को राज्यसभा भेजा जाता है और राज्यसभा में पास होने के बाद उस बिल को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दी जाती है और राष्ट्रपति के बाद मंजूरी मिलने के बाद वाह कानून के रूप में पारित कर दिया जाता है हाल ही में सरकार द्वारा कई ऐसे बिल लाए गए जिनका काफी तेजी से विरोध भी हुआ है जैसे किसी संशोधन बिल यह बिल भी पहले लोकसभा में पास हुआ फिर राज्यसभा में और इसके बाद अब विधायक विधायक बन चुका है

लोक सभा और राज्य सभा में अंतर आर्टिकल कैसा लगा 

दोस्तों हमने हमारे इस आर्टिकल में आपको बताया है कि लोकसभा और राज्यसभा में क्या अंतर होता है लोकसभा और राज्यसभा का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है और उनकी शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया है अगर आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल अच्छा लगता है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद

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