bill kaise banta hai > क्या आप जानते हैं कि बिल कैसे बनता है और बिल किसके द्वारा पास किया जाता है और यह कृषि कानून बिल जिसका इतना ज्यादा विरोध हुआ है ऐसे कई कानून बने हैं यह कैसे पास हुए हैं और बिल के बाद में कानून बनने में कितना समय लगता है और यह आईडिया किसके द्वारा लाया जाता है कि ऐसा बिल लाया जाए और उसको कानून बनाया जाए अगर आपके मन में यह सारे सवाल है तो हम हमारे इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि बिल कैसे बनाए जाते हैं और सांसद में कैसे पास होते हैं
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बिल कैसे बनता है
दोस्तों जैसा कि आपको पता है कि बिल बनाने का कानून संसद में होता है और सबसे पहले यह संसद में ही पास होता है और भारत की राजधानी दिल्ली में भारत की सांसद स्थित है कोई भी कानून पहले संसद में बिल के रूप में प्रतिस्थापित होता है जब कोई बिल संसद में पेश होता है उसे राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद ही बाह बिल बनाने का विशेष अधिकार होता है अगर राष्ट्रपति की अनुमति नहीं होती है तो किसी भी बिल को विधेयक नहीं बनाया जा सकता और संसद में प्रमुख दो तरह के बिल पेश किए जाते हैं
सरकारी बिल और गैर सरकारी विधेयक
सरकारी बिल की बात की जाए तो सरकारी बिल या विधेयक मंत्रिमंडल के सदस्य के द्वारा ही पेश किए जाते हैं और इन्हें बगैर मंत्रिमंडल के सदस्य के द्वारा पेश नहीं किए जा सकते जबकि
गैर सरकारी विधेयक की बात किए जाए तो इन्हें अन्य सदस्यों द्वारा लाये जाते हैं जो मंत्री मंडल मंत्री परिषद के सदस्य नहीं होते यानी कि इसे आप विपक्ष भी कह सकते हैं उदाहरण के तौर पर अभी के समय में बीजेपी की सरकार है और जो गैर सरकारी विधेयक होता है वह भारत की कांग्रेस के द्वारा लाया जा सकता है
विधेयक bill बनाने की फुल प्रक्रिया
प्रथम वाचन
इसे हम बिल की प्रति इस्तापना या विधायक का प्रथम वाचन भी बोल सकते हैं यह अवस्था काफी ज्यादा सरल होती है मंत्री विधेयक को प्रस्तावित करता है और फिर अध्यक्ष को सूचित किया जाता है अध्यक्ष यह बिल सदन के सामने रखता है और जब सभी मंत्रियों का इस बिल के प्रति सामान्य मत होता है और वह सभी मान जाते हैं कि यह विधेयक बनने के लिए तैयार है तो इसको प्रस्तावित करने के लिए लाया जाता है
द्वितीय वाचन
जब सदन में सामान चर्चा हो जाती है तो उसके बाद सदन के पास चार विकल्प होते हैं सदन चाहे तो स्वयं विधेयक पर विस्तृत चर्चा कर सकता है सदन चाहे तो विधेयक सदन की प्रबर्तन समिति को यह भेज सकता है दोनों सदनों की समिति को भेज सकता है और जनता का जनमत जानने के लिए यह जनता को वितरित भी कर सकता है
और जब यह वचन पूरा हो जाता है इसके बाद मंत्री विधेयक को पास करने के लिए सदन से ही अनुरोध करता है और इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की जाती और विधेयक का विरोध केवल पास और उसका समर्थन करने के लिए ही किया जाता है और इसके लिए उपस्थित मतदान वाले सदस्यों का बहुमत आवश्यक होता है
द्वितीय सदन में बिल का कार्य
जब यह बिल किसी एक सदन में पास हो जाता है तो इस बिल को दूसरे सदन में भेज दिया जाता है और इस बिल के साथ वहां पर भी तीन वचन की प्रक्रिया होती है जो कि कुछ इस प्रकार है
- अगर कोई बिल या विधायक दोनों सदनों में पास किया जाता है तो उसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है
- अगर बिल में किसी भी प्रकार का संशोधन करना होता है तो बिल को वापस सदन के पास वापस भेज दिया जाता है और जो भी सदन बिल लाता है उस पर विचार करता है और विचार करने के बाद या तो उसमें संशोधन कर सकता है अगर वह संशोधन कर लेता है तो बिल राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेज दिया जाता है अगर बाह पहला सदन जो बिल लाया था वह संशोधन करने से स्पष्ट तौर पर मना कर देता है तब इसे गतिरोध माना जाता है और बिल वहीं पर अटक जाता है
- दूसरे सदन की बात की जाए तो बाह भी इस बिल को अस्वीकार कर सकता है यह भी एक प्रकार का गतिरोध कहलाता है दोनों सदनों के गतिरोध को समर्पित करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति के लिए बिल राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है क्योंकि राष्ट्रपति एक ऐसा पद होता है जिसके पास कई विकल्प मौजूद होते हैं और उन विकल्पों के द्वारा इस बिल को हल करने के लिए मदद करता है जब राष्ट्रपति इस बिल पर अपने सिग्नेचर कर देता है इसके बाद ही कोई बिल कानून बनता है और वह सभी राज्यों में लागू हो जाता है
भारत में 2014 के बाद सबसे ज्यादा बिल लाए गए और उन बिल का विरोध भी देखने को मिला है लेकिन भारत की सरकार ने कुछ ऐसे बिल लाए हैं जिसका विपक्ष ने विरोध किया है जैसा कि सभी विपछ करते हैं लेकिन इसके पश्चात भी यह बिल देश हित में थे और देश के लिए इन बिल का बनना भी बहुत जरूरी था और यह बिल पास होने के बाद देश में कुछ विकास कार्यो में तेजीआएगी आएगी
जब भी बिल संसद में पेश होता है वह एक विशेष सत्र के दौरान ही पेश किया जाता है हालांकि किसी बिल की जरूरत पड़ती है जब सांसद का आपातकालीन सत्र बुलाकर बिल को पेश किया जा सकता है ऐसे ज्यादातर मामलों में संसद के विशेष सत्र में ही इन बिल को प्रस्तुत किया जाता है इमरजेंसी के दौर में भारत में अभी तक कोई भी बिल पेश नहीं किया गया है
bill kaise banta hai आर्टिकल कैसा लगा
दोस्तों हमने हमारे इस आर्टिकल में bill kaise banta hai आपको बताया है कि बिल कैसे पास होता है और वह विधेयक कैसे बनता है अगर आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल अच्छा लगता है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद
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